गर्भावस्था एक बहुत ही अनोखी भावना है। जो किसी भी महिला को उसके जीवन के सबसे सुखद समय का अनुभव कराती है। परंतु जब कभी किसी कारण से कोई गर्भावस्था एक अनचाही गर्भावस्था हो, ऐसे में उस गर्भ के निदान के लिए महिला को बहुत ही कष्टदायी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। और यह एक ऐसा समय होता है, जो की उस गर्भवती महिला को शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार से कमज़ोर बना देता है। अनचाहा गर्भ गिराने का जो सबसे आसान उपाय माना जाता है वह है, गर्भ गिराने कि गोलियों लेना। गर्भपात की गोली के बाद पेट में दर्द होता है,जो की गर्भाशय के सिकुड़ने की वजह से होता है, सामान्यतया यह दर्द महिलायें सह भी लेती है।

अनचाही गर्भावस्था की गर्भपात के लिए सही उपाय है ज़रूरी– मेडिकल अबॉर्शन गर्भपात करने के लिए एक आसान उपाय के रूप में देखा जाता है ,जिसमें गर्भवती महिला को गर्भपात के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गईं गोलियां तय समय अंतराल में लेनी होती हैं। इन गोलियों को लेने के बाद महिला के शरीर में गर्भपात की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। गर्भपात की गोली लेने के बाद पेट में दर्द होता है, जो कि प्रक्रिया के दौरान ज्यादा तकलीफदेह भी हो सकता है।

कारण

गर्भपात के दौरान पेट में दर्द होने के कारण – गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान पेट में दर्द होना वैसे तो सामान्य बात है। लेकिन जब यह दर्द असहनीय होने लगे तब उसके निम्न कुछ कारण हो सकते है –

गर्भपात की गोली सही समय पर न ली गई हो – गर्भपात की गोली लेने का एक निश्चित समय अंतराल होता है, जो की गर्भावस्था के 6 से 8 सप्ताह के बीच का होता है। यदि गर्भपात की गोली गर्भावस्था के 8 सप्ताह के बाद ली गई है, तब यह समस्या सामने आ सकती है। जब कोई गर्भवती महिला बिना किसी डॉक्टर से परामर्श लिए बिना किसी जांच या सलाह के गर्भपात की गोलियां ले लेती हैं तब, गर्भपात की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती और पेट में दर्द बढ़ता जाता है। इस स्थिति में महिला को तुरंत ही डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती है।

गर्भपात की प्रक्रिया पूरी न हो पाना – महिला द्वारा गर्भपात की गोली लेने के बाद भी हो सकता है कि प्रक्रिया के दौरान भ्रूण महिला के शरीर से बाहर ही नहीं निकल पाए। कई बार गर्भपात के लिए अपनाया जा सकने वाला सबसे आसान उपाय गर्भपात की गोलियां ले लेने की प्रक्रिया ही आसानी से पूरी नहीं हो पाती। और कुछ महिलाओं को इस वजह से भी पेट में तेज़ असहनीय दर्द होता है। इस स्थिति में महिला को तुरंत ही किसी डॉक्टर को दिखाया जाना ज़रूरी होता है।

गर्भपात के दौरान अत्यधिक रक्तसत्राव ( हैवी ब्लीडिंग ) – गर्भपात की गोलियां लेने के बाद महिला को पेट के निचले भाग , पीठ और पीठ में भी नीचे की ओर अधिक दर्द महसूस होता है। जिसका कारण गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान होने वाली बहुत अधिक ब्लीडिंग हो सकती है। कभी कभी यह ब्लीडिंग पीरियड्स के समय होने वाली ब्लीडिंग के जैसे या फिर उससे बहुत अधिक होती है। यह ब्लीडिंग 2 से 3 दिन तक इसी तरह चल सकती है। यदि ब्लीडिंग इससे भी ज्यादा समय तक एक ही तरह बहुत अधिक मात्रा में चल रही हो, तब महिला की जान को खतरा हो सकता है। इस स्थिति में उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए।

  • इसी क्रम में गर्भपात के लिए गोलियां लेने के बाद कुछ और भी स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ सकती हैं, जैसे
  • जी मिचलाना
  • बुखार आना
  • उल्टियाँ होना
  • सिर दर्द
  • चक्कर आना
  • ठंड लगना ,आदि ..

उपचार

गर्भपात के बाद होने वाले दर्द को कम करने के लिए कुछ उपाय
गर्भपात के बाद होने वाला पेट दर्द जितना ही सामान्य है उतना ही आवश्यक भी है। यह पेट दर्द गर्भाशय को अपने पूर्व आकार में लाने में सहायक होता है।

  • गर्भपात की प्रक्रिया महिला को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से कमज़ोर और अस्वस्थ बना देती है। इसलिए ज़रूरी है कि गर्भपात की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद होने वाले पेट दर्द और ऐठन को कम करने के लिए महिला को बहुत सारा आराम करे ।
  • दर्द काम करने वाली दवाएं जैसे कि Ibuprofen दवा लेना चाहिए।
  • गरम पानी से सिकाई करनी चाहिए, गर्म पानी ही पीना चाहिए।
  • महिला को हल्की मसाज़ की जानी चाहिए। पेट को नीचे की तरफ हल्के हाथों से दबाकर , गोलाकार में नाभी से निचले भाग तक उंगलियों से मसाज़ करना लाभकारी होगा।
  • गरम पानी की बोतल या हॉट वॉटर बेग से की गई सिकाई भी बहुत अच्छा उपाय है।

सावधानी

डॉक्टर से तुरंत मिले अगर दिखाई दें ऐसे कुछ लक्षण

  • गर्भपात के बाद पेट , पीठ की निचले भागों मे कहीं असहनीय तेज दर्द हो, जिसमें दर्द निवारक दवा भी असर न दिखा पा रही हो।
  • गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान दूसरी गोली लेने के बाद भी जब ब्लीडिंग शुरू ना हुई हो।
  • बहुत अधिक ब्लीडिंग हो रही हो, जैसे की 1 घंटे के अंदर ही 2 या अधिक पेड्स भीग जाना।
  • पेट , पीठ का दर्द सभी उपाय अपनाने के बाद भी ठीक ना हो पा रहा हो तब।
  • यदि महिला के शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो या , बहुत अधिक बुखार की स्थिति बन रही हो।
  • यदि महिला गर्भपात के बाद योनि के द्वारा बिना गंध और बिना रंग का पानी आते हुए महसूस करती है तब।
  • यदि महिला गर्भपात की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी गर्भवती होने जैसे लक्षण महसूस कर रही है तब।
  • अगले पिरियड्स सामान्यतया 4 से 6 सप्ताह में आ जाने चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है, तब।

रोकथाम

अनचाही गर्भावस्था की स्थिति होने के कई कारण हो सकते है। जिनमें से कुछ शारीरीक और कुछ मानसिक हो सकते हैं। जब कोई महिला इस परिस्थिति से गुजरती है, तो उसे सबसे पहले किसी कोई योग्य डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अधिकतर मामलों में एक दवा, या अन्य किसी चिकित्सीय तकनीक के बिना अनचाही गर्भावस्था से निजात पाना संभव नहीं होता।
एक अनचाही गर्भावस्था के निदान के लिए महिला को किसी भी सरकारी अस्पताल या किसी भी योग्य महिला एवं प्रसूति विशेषज्ञ ( गायनेकोलॉजिस्ट ) से सही परामर्श लेना जरूरी है। क्योंकि एक सही एवं योग्य डॉक्टर ही गर्भवती महिला को उसकी उम्र, गर्भावस्था का समय, महिला के स्वास्थ्य के साथ साथ गर्भावस्था में सामने आयी समस्या को समझ कर, गर्भपात के लिए अपनाए जा सकने वाले सही उपाय के बारे में सलाह दे सकते है। जो की महिला के स्वास्थ्य और जीवन को बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
इसलिए जरूरी है कि गर्भपात का तरीका कानूनी और चिकित्सकीय दोनों ही रूप से सही हो, और डॉक्टर की निगरानी में ही गर्भपात की सारी प्रक्रिया सम्पन्न करायी जाए।