पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं को कभी – कभी अचानक से गर्भपात ( Miscarriage ) का सामना करना पड़ जाता है। कभी – कभी स्त्री कुछ कारणों से, होने वाले बच्चे को जन्म देने मे समर्थ नहीं होती। तब उसे गर्भपात ( Abortion ) का सहारा लेना पड़ जाता है। इन दोनों ही परिस्थितियों में स्त्री को इस बात की पूरी जानकारी नहीं होती की आखिर गर्भपात के दौरान होता क्या है। उसके शरीर मे किस प्रकार की बाहरी और आंतरिक प्रक्रिया होने वाली है। ये कुछ ज़रूरी बातें हैं जो की हर माँ बनने वाली स्त्री या गर्भपात करने जाने वाली स्त्री को पता होनी ही चाहिए। जिससे कि उसे गर्भपात की प्रक्रिया की भी जानकारी हो और साथ ही वह हर परिस्थिति के लिए अपने आप को तैयार रख सके।
गर्भपात ( Miscarriage )
- गर्भावस्था के आरंभ के दिनों में समान्यतः कुछ स्त्रीयों को ब्लीडिंग ( रक्त्स्त्राव) या स्पोटिंग ( खून के धब्बे ) की समस्या का सामना करना पड़ जाता है। डाक्टर कहते हैं, की यह बिलकुल ही सामान्य बात है। खतरे की बात तब होगी जबकि ब्लीडिंग अचानक से ज्यादा होने लगी हो, ब्लीडिंग या स्पोटिंग लगातार हो रही हो, ब्लीडिंग के साथ थक्के भी दिखाई दे रहे हों, ब्लीडिंग गहरे लाल रंग या भूरे रंग की हो रही हो। तब ये गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं ।
- अगर गर्भवती स्त्री पेट के निचले हिस्से में या पेलविक एरिया में दबाव जैसे महसूस कर रही है तो इसका मतलब होता है की गर्भ कमजोर पड़ रहा है और ये गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं। यह एक गंभीर समस्या भी हो सकती है। ऐसे में स्त्री को तुरंत किसी प्रशिक्षित डाक्टर को दिखाया जाना जरूरी होगा।
- कुछ स्त्रीयों को सिर्फ थोड़ी सी ब्लीडिंग और मामूली सा ही दर्द होता है। लेकिन ये भी एक गंभीर समस्या हो सकती है। क्योंकि यह अधूरे गर्भपात के लक्षण हैं। जो सिर्फ डाक्टर ही अल्ट्रासाउंड करके समझ सकते हैं।
- गर्भावस्था के आरंभ के दिनों में अगर स्त्री को पेट के निचले हिस्से और पीठ में रह रह कर दर्द हो रहा हो तो ये भी गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान सफ़ेद पानी जाना सामान्य है , लेकिन यदि इससे कोई दुर्गंध महसूस हो, तो ये दूषित गर्भावस्था के कारण हो सकती है। मतलब की गर्भ खराब हो चुका है। और उसे तुरंत शरीर से बाहर निकालना जरूरी है।
गर्भपात ( Abortion )
अगर स्त्री डाक्टर की सलाह से गर्भपात करा रही है तब डाक्टर इन दो तरीकों में से एक तरीके से उसका गर्भपात करेंगे –
- मेडिकल अबॉरशन ( दवाओं द्वारा गर्भपात )
- सर्जिकल अबॉरशन ( सर्जरी के द्वारा )।
मेडिकल अबॉरशन के लिए डाक्टर के बताए अनुसार मिफ़ेप्रिस्टोन दवा रखने के कुछ समय बाद से ही गर्भपात की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मिफ़ेप्रिस्टोन शरीर में प्रोजेस्टेरोन नाम के हारमोन को प्रवाहित होने से रोक देती है यही हारमोन गर्भावस्था के लिए सबसे आवश्यक हारमोन होता है। इससे गर्भाशय की परत टूटने लगती है। और इस तरह भ्रूण का सुरक्षा कवच टूटने से भ्रूण का विकास नहीं हो पाता। फिर दूसरी दवा मिसोप्रोस्टोल लेने के बाद अविकसित भ्रूण योनि के द्व ारा शरीर से बाहर निकाल जाता है।
मेडिकल अबॉरशन के बाद शरीर में महसूस किए जाने वाले लक्षण –
- पेट में तेज़ दर्द और ऐंठन – दवा लेने के कुछ समय के बाद से ही स्त्री को पेट में दर्द और ऐंठन महसूस होगी, जो कि धीरे धीरे बढ़ती जाएगी। यह दर्द सामान्य पीरियड ( मासिक धर्म ) में होने वाले दर्द से बहुत अधिक होगा।
- ब्लीडिंग – दर्द के साथ ब्लीडिंग होना आरंभ होगी , इसमें रक्त के साथ साथ बड़े बड़े थक्के भी निकलेंगे जो की भ्रूण के हिस्से होंगे। ध्यान दें की यह ब्लीडिंग सामान्य पीरियड में होने वाली ब्लीडिंग से ज्यादा मात्रा में होगी।
सर्जिकल अबॉरशन की प्रक्रिया में डॉक्टर महिला के गर्भ से भ्रूण को एक सर्जरी के माध्यम से निकाल लेते हैं। ये सिर्फ कहने के लिए ही सर्जिकल अबॉरशन होता है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी चीरा या टांका नहीं लगाया जाता। यदि किसी कारणवश गर्भावस्था के 20 सप्ताह से अधिक समय के बाद गर्भपात कराया जा रहा हो। तब भी एक बहुत ही मामूली सी सर्जरी ही की जाती है।
गर्भपात पूरा हो जाने के लक्षण –
- गर्भपात हो जाना सुनिश्चित करने का सबसे कारगर तरीका है अल्ट्रासाउन्ड करा कर देखना कि शरीर में भ्रूण का अभी भी कोई अंश बाकी तो नहीं रह गया है।
- गर्भपात की प्रक्रिया आरंभ होने के बाद से जो ब्लीडिंग और थक्के निकलने शुरू हुए थे , वे समय के साथ कम होते जाएंगे। धीरे धीरे ब्लीडिंग भी कम होते होते बंद हो जाएगी। और अंत में हल्की स्पोटिंग होगी और यह भी धीरे धीरे बंद हो जाएगी। यह पूरा क्रम कुछ 8 से 10 दिन का समय लेगा। इस क्रम के पूरा होने का मतलब है की गर्भपात पूरा हो गया है।
- इसी तरह गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान शुरू हुआ पेट और पीठ का बहुत तेज़ दर्द 3 से 4 दिनो में एकदम ठीक हो जाएगा। इस दर्द में दर्द निवारक दवा लेने से भी बहुत आराम मिलेगा।
- गर्भावस्था के दौरान होने वाली सभी समस्याएँ जैसे की उल्टियाँ होना , चक्कर आना , खाने से खुशबू से उबकाइयाँ आना ,मन अच्छा न होना आदि नहीं महसूस होती। गर्भावस्था के दौरान जो शारीरिक बदलाव शरीर में आए थे, वे सभी पहले की अवस्था में आ जाते हैं।
गर्भपात के बाद 2 सप्ताह के बाद यदि प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाये तो वो नेगेटिव आता है। 2 सप्ताह के बाद इसलिए क्योंकि गर्भपात के 2 - सप्ताह तक शरीर में HCG हारमोन होता है। इस समय यदि प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाये तो वह पॉज़िटिव आ सकता है। टेस्ट पॉज़िटिव आ जाने पर भी घबराएँ नहीं , कुछ दिन रुक कर फिर से कोशिश करें।
- गर्भपात के लगभग 4 से 6 सप्ताह में पीरियड्स आ जाते हैं।
कुछ ऐसे लक्षण जो बताते हैं की गर्भपात नहीं हुआ है –
- मिसोप्रोस्टोल दवा लेने के 72 घंटों के बाद भी जब ब्लीडिंग शुरू नहीं हुई हो ।
- गर्भपात की दवा ले लेने के बाद 8 सप्ताह के बाद तक भी जब पीरियड्स नहीं आए हों तब।हर स्त्री का शरीर किसी एक दवा या उपचार पर समान असर नहीं दिखाता। ये सभी जानकारीयां कई सारी जाँचो और रिसर्च पर आधारित होती हैं। सही जानकारी के लिए ज़रूरी है कि किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से सलाह ली जाये।